Friday 29 January 2021

दिल्ली की गलियां...


कभी पापा की उंगली थामे घूमे थे यह दिल्ली की गलियां,

आज चल दिए वही रस्ते थामे तुम्हारी उँगलियाँ!

मन कहीं एक कोने में ज़रूर है भरा भरा,

पर आज भी यह दिल खुशनुमा है बचपन की तरह!!