ನನ್ನ ಮನದ ಅಂತರಾಳದಿ ಅರಳುತಿರುವ ಚಿಲುಮೆಯ ಬಿಂಬ - ಈ ಪ್ರತಿಬಿಂಬ
कभी पापा की उंगली थामे घूमे थे यह दिल्ली की गलियां,
आज चल दिए वही रस्ते थामे तुम्हारी उँगलियाँ!
मन कहीं एक कोने में ज़रूर है भरा भरा,
पर आज भी यह दिल खुशनुमा है बचपन की तरह!!